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गुरुवार, 25 जून 2015

कविता-१८२ : "याद..."



हम

आते
है...

और !
हम
चले 
जाते
है...

पर !
जाने
वाले...

न 
वापिस
आते
है...

और
बहुत
याद
आते 
है...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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