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मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

कविता-११९ : "तुम मै और मन..."



तुम मै और मन...


तुम तुम हो...


मै मै हूँ...


और... 
मन... 'मन' है 

पर,

 तुममे मै
मुझमे तुम
और मन में हम...

लो बन गई...
जिन्दगी...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________


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