Powered By Blogger

रविवार, 1 मार्च 2015

कविता-६८ : "मुस्कराती हुई...तुम..."

एक एक अक्षरों को ..
उठाकर..सजाकर..
एक व्यवस्थित क्रम में लगाकर..
लिखने की कोशिश करता हूँ
मै...

कविता...
होती है की नहीं
क्या पता मुझे ??

पर !
हर अक्षर में
दिखाई जरुर देती हो
मुस्कराती हुई...
तुम...!!!
-------------------------------------------------------------

_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें