Powered By Blogger

सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

कविता-३७ : "जिंदगी की शाम... !!!"


भूली बिसरी बाते अब तो
भूल जाओ तुम ...
धीरे से सही होले से सही
थोडा सा मुस्कराओ तुम....

रूठोगे कब तक
सताओगे कब तक
वजूद मेरा ही जब है तुमसे
आ जाओ अब तो पास मेरे
न अब दूर जाओ तुम....

न होगा कुछ इन तनहाइयो से
खट्टी मीठी रुसवाईयों से
साथ रहे जब हर पल में
इन पलो को भी सजाओ तुम..

जो बीत गया वह अतीत हुआ
जो आएगा  वो स्वर्णिम कल है
कडवी कड़वी बातो को अब
वक्त के साथ हटाओ तुम...

नूतन दिन में अहसास नया
हर लम्हा कुछ हो खास नया
अब तो मेरे मीत मेरे
सदा मेरे ही हो जाओ तुम...

आशा है उम्मीद नई
शब्द माला खुशियों की सौगात
ले आयेगी....
जी लो हर कतरा कतरा लम्हों का
ये शाम कभी न आयेगी...!!!
----------------------------------------------------
 _______आपका अपना 'अखिल जैन'______

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें