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बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

कविता-५५ : "कहीं वो तुम तो नहीं...???"

कही वो तुम तो नहीं
जो आते हो ख्वाब में
रोज...

और मुस्कराकर चले जाते हो
यदि वो ही हो तो
बता देना
क्योकि...

मेरे ख्वाब चोरी
हो गए है
और मैं नहीं चाहता
कोई इल्जाम दे चोरी का

तुम पर...!!!
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_________आपका अपना ‘अखिल जैन’_________

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